शुक्रवार, 18 जून 2010

पहली ख़ुशी

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दोस्तों , ये मेरी पहली कुछ पंक्तिया हैं जो कि मैंने अपने back paper से पहले लिखी थी और उसके
बाद से में कुछ न कुछ विचित्र, अजीब और पकाऊ लिखता गया !!!!!!!!!!!!!!!






so plz check my first few lines........




जहाँ तक दिखी सड़क
वह तक चलता गया मैं
चलता ही गया मैं
चोराहे मिले बहुत
पर बिना सोचे समझे
चलता गया मैं
चलता ही गया मैं
कभी बहकावे में तो कभी होश में
दिन के उजाल़े और रात के आगोश में
चलता गया में
बस चलता ही गया में
कुछ पल के लिए ठहरा में
भटका कुछ हसीं चेहरों के पीछे
बैचैन हुआ किसी कि नजरों पर
पर जैसे ही दिखी सड़क
चलता गया में
बस चलता ही गया में
गमों को झेलता हुआ
ख़ुशियो को उडेलता हुआ
थका न मैं
अपने आप को सम्हलता गया मैं
जहा तक दिखी सड़क
वह तक चलता गया मैं
बस चलता गया मैं
अभी भी चल रहा हूँ
स्थिर हूँ या नहीं
कल भी चलता रहूँगा
चाहे रहूँ या नहीं...............
:)

1 टिप्पणी:

KHOJ

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