उलझने ज्यादा राहते कम है
उम्मीदें ज्यादा चाहतें कम है
फिर मिली एक रौशनी
अब उजाल़े ज्यादा अँधेरा कम है
जिंदगी ज्यादा डर मौत का कम है
ख़ुशी ज्यादा दर्द दुःख का कम है
मंजिल साफ़ है भटकाव कम है
पास गया उस रौशनी के तो पता चला
वो खुद में बहुत कम है
उसमे भी द्वेस जादा प्रेम कम है
अन्धकार ज्यादा रौशनी कम है
सवाल ज्यादा जवाब कम है
दुविधा ज्यादा विकल्प कम है
वो रौशनी जो प्रकाशित थी मेरे मन में बुझ रही थी
लेकिन पहले मुझसे आकर पास वो मेरे बोली
मैं प्रकाशित तुजसे थी
“तेरी आशा
तेरी प्रेरणा
तेरा उत्साह
तेरा विश्वास“
मुझे हर पल दे रहा उर्जा था
क्यूंकि इस दुनिया में बुराई बहुत ज्यादा और अच्छाई बहुत कम है
अब न रौशनी को न मुझे कोइ गम है
उसमे है जो अच्छाई भले ही वो कम है
मैं भी हूँ उत्साहित मेरा मन अब सम है
वो प्रकशित रहे हमेशा उज़ाला फैलाये चाहे उसमे रौशनी कम है !!!!
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