मंगलवार, 15 नवंबर 2011

सीधी बातो से कतराते हो ..



आज भी सीधी बातो से कतराते हो


पता है सब ठीक होगा

फिर क्यूँ घबराते हो

बहाने बना कर

पास जाते हो ....

हँसी-ख़ुशी में चंद लफ्ज बडबडाते हो

न जाने क्यूँ सच से मुह छिपाते हो

"आवर्त"

आज भी सीधी बातो से कतराते हो

कविताये रचते

2 पंक्तियों में न जाने क्या कहना चाहते हो

कोसते हो दुनिया को कभी

तो कभी रिश्तो से डगमगाते हो

दिल की धडकनों को महसूस करो

क्यूँ तुम मुस्कान को ही अपनी

-मुस्कुरा के छुपा जाते हो ...

आज भी सीधी बातो से कतराते हो ..

आधी-अधूरी अनकही बाते ही होती है अक्सर

वार्तालाप को छोडकर तुम जाने कहा खो जाते हो

दिल मेरा नहीं दुखता,

पर महसूस तेरा दर्द तेरे "विराम" से होता है

जो तुम खालीपन सा दे जाते हो ................

आज भी सीधी बातो से कतराते हो ..

क्रमश:




3 टिप्‍पणियां:

KHOJ

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