गुरुवार, 6 अक्तूबर 2011

थोड़ा खुद से थोड़ा मुझसे बतियाना



जब  बातें  हो  जाये  कम,
आँखें  हो  नम,
आस  रखना, 
तब  तुम  मत  घबराना,
थोड़ा  खुद  से  थोड़ा  मुझसे  बतियाना,
चुप्पी  से  अपनी  न  मुझको   तड़पाना,
अपना  समझना  दिल  से  दिल  का  हाल सुनाना,
थोडा  खुद  से  थोड़ा  मुझसे  बतियाना,
जब  कभी   दिन  ढले  आराम  का,
रात  आये, मुश्किल  हो  रास्ता  काटना,
मेरी  बात  याद  रखना, 
दीप  लिए,  रोशन  मैं  रात  कर  दूंगा,
बस  तुम  एक  आस  रखना, 
कभी   न आशा  का  दीपक  बुझाना,
थोड़ा  खुद  से  थोड़ा  मुझसे  बतियाना, 
सन्नाटा  चंद  पलो  का  किसे  नहीं  भाता, 
पर तुम  चुप  हो  तो,
मुझे  भी  बोलना  नहीं आता,
मेरी  बातो  को  दिल से  मत  लगाना,
हो  कुछ  गिला  तो,
थोड़ा  खुद  से  थोड़ा  मुझसे  बतियाना . . . . . . .....

1 टिप्पणी:

  1. तेरी मजबूरियाँ भी होगी चलो मान लेते है.... मगर.... तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का...!!!

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KHOJ

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