शनिवार, 23 अप्रैल 2011

mnjoor Nahi

धोखा  है  मंजूर 
सच्चाई   का  आइना   नहीं
ये  दुनिया  हंसती   बेवजह
आंसू  असल  के  भी   रोना   नहीं
मंजूर  है  बैचनी   का  महल
सुकून  का  कोना  नहीं
अपने  संग   होता  हमेशा  गलत
२रो  के  साथ  हमेशा  सही
परेशानी  अपनी  सबसे  बड़ी
किसी  की  मौत   का  भी  गम  नहीं
किसी  की  ख़ुशी  है  मंजूर
अपने  गम  में  भी  आँखें  नाम   नहीं
होता  प्रेम  बेवजह  कही
तो  चाहकर  भी  तन्हाई  है  कही .
ये  तो  चंद   पंक्तिया है .
पता   नहीं  क्या  है  "मंजूर "
जो  होना  "नहीं " चाहिए .
और  क्या  है  नहीं
जो  मंजूर  होना  चाहिए ?

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