सोमवार, 28 मार्च 2011

ख़ामोशी

यूँ तेरी ख़ामोशी मुझे कुछ भाती नहीं ...
मैं भी बनाता बहाने हसी मुझे भी आती नहीं ...
तू कहती नहीं तेरी आँखें इशारा करें ...
मेरे काबू में नहीं दिल मेरा आह भरें .........
सोचू तेरी मुस्कान वही .....
यूँ तेरी ख़ामोशी मुझे कुछ भाती नहीं ,,,,
बुरा लगता है जब तू कहे न कुछ
रूठ जाता हूँ मैं सचमुच जब तू सताती नहीं ........
मेरा दिन भी ढले न जाने कहा ..
उदासी तेरे चेहरे की जब जाती नहीं..
यूँ तेरी ख़ामोशी मुझे कुछ भाती नहीं ,,
मैं भी बनाता बहाने हसी मुझे भी आती नहीं ..
टूटी जो ख़ामोशी हँसी आ गयी.
मेरा दिल अब तेरे काबू में .....
ख़ुशी छा गयी ...
जो तू आ गयी .....जो तू आ गयी ......
हुआ रिश्ता तेरा-मेरा और भी जुदा ...
...दुनिया की नजर में हमारी तकदीर आ गयी ......
टूटी ख़ामोशी जो ......दिल पे मेरे धडकन की ख़ुशी छा गयी ..:)

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KHOJ

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