कुछ दिन पहले की बात है ....
बड़े बड़े तारो के बीच छोटे से सूरज को भीअहमियत मिलने लगी ...
हमारा अपना सूर्य और प्रकाशित और उर्जावान हो गया...
फिर धीरे-धीरे
जब वो बड़े तारे एक दूर आकाश-गंगा के नन्हे से ग्रह को ...
रोशन करने चले तो...
हमारा नन्हा सूर्य बेचारा कोई मदद नहीं कर पाया
जबकि वो हर हाल में पूरी मदद करना चाहता था ...
पर उन बड़े तारो ने नहीं सुना और हमारे प्यारे नन्हे सूर्य को धोखे-बाज
काम-चोर और एहसान-फरामोश कह दिया ....
बेचारा उस दिन रोता रहा ...
उसके आंसू घुलते रहे...
उसकी उर्जा कम होती रही ..
और धरती पे पहली बार रात हो गयी ....
फिर
फिर क्या
एक छोटा सा उपग्रह जो सूर्य की रौशनी से पलता है
हमारी पृथ्वी को रोशन करने लगा ...
जब उस पर हमारे सूर्य की नजर पड़ी तो
तो क्या ........वो बहुत "inspire" हुआ की जब ये घटने-बदने वाला (कम रौशनी के बावजूद)
रोशन करने की हिम्मत रखता है तो मैं क्यूँ नहीं .....उसने बड़े तारो की बात दिमाग से निकाल दी ...और वापस अपना कर्म-चेत्र पृथ्वी पे रौशनी बरसाने लगा ...
लेकिन .....लेकिन ......चाँद की उस कोशिश को "respect" देते हुए .......रात में रौशनी का जिम्मा उसके पास ही रहने दिया ...........और....और .........बस .....यही से दिन और रात की कहानी शुरु हुई ...जादा रौशनी और कम रौशनी की बातें भी यही से शुरु हुई .....
सो अगर कोई कभी तुम्हारी मदद न कर पाए तो उसे कोसना मत....क्यूंकि पता नहीं उसका कर्म chetra क्या है और वो किस चीज के लिए बना है .............और जब निराश हो तो भी बैठना नहीं .........प्रेरित होना किसी छोटी सी रौशनी से .......:):):):)
(: अमित रावत :)
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