अब बातें नहीं होती . . . . . सन्नाटा सा है . .
गहरा. . .
शायद बात करने को कुछ बचा नहीं . . . .
या फिर बातो से अब कुछ होता नहीं. .
एक विराम सा है . .
"अमित" . . . असीम . . . .
खाली होता हूँ तो तुमको सोचता हूँ. . . . .
और जब तुमको सोचु तो खाली सा हो जाता हूँ . . . . . .
"शून्य" के करीब एक मोहपाश पाता हूँ . . . . . .
(:
गहरा. . .
शायद बात करने को कुछ बचा नहीं . . . .
या फिर बातो से अब कुछ होता नहीं. .
एक विराम सा है . .
"अमित" . . . असीम . . . .
खाली होता हूँ तो तुमको सोचता हूँ. . . . .
और जब तुमको सोचु तो खाली सा हो जाता हूँ . . . . . .
"शून्य" के करीब एक मोहपाश पाता हूँ . . . . . .
(:
चंद पंक्तिया और बेहतरीन अभिव्यक्ति.....
जवाब देंहटाएंSukria aur Abhaar sushma ji..:)
जवाब देंहटाएंmst hai... accha likha hai
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