आज जब देखा उसे बेंच पर टिकाए सर
थोड़ा सा घूमा मेरा दिमाग इधर उधर
फिर पूछ बैठा मैं किसी से क्या हुआ है इसे
कभी भी दुखी न देखा था जिसे
आज क्यु वो गमगीन है
मुझे तो लगता था शायद यही है वो
दुनिया जिसकी हर पल हसीन है
और तो और वो यही नहीं थमा
अचानक जब दिखी उसकी एक झलक
सन्न सा था मैं
सकते है आंसू उसकी आँखो से भी छलक
क्यू था वो आज इतना उदास खोया खोया
उठने के बाद भी बेंच से थोड़ा सोया सोया
पूछ्ते रहे सभी
कुछ तो बताए कारण
पर मैं ही था जिसे न पता चला कुछ
आँसू इसके भी आ सकते है सचमुच
धोखा देना आसान है दुनिया को
बजाय इसके कि दो तुम खुद को
अब वो उठ चुका था
मोती जो पिघला था अब वो सूख चुका था
फिर चढने लगी रंगीनियत उसके मिजाज में
आने लगी वही पुरानी शरारत उस्के अन्दाज में
चहक कर फिर से सताने लगा पूर्ववत सबको
छुप गये थे सारे आँसू अब जो
दिखाने लगा फिर से अपनी झूठी खुशी
जाने अन्जाने वो सब कुछ दिखा गया
कि खुश रहना शायद सबकी मजबूरी है
पर रोना हर पल ना सही कहीं न कहीं जरूरी है।
awsome..........
जवाब देंहटाएंreally awesome yaar....gud one amit....
जवाब देंहटाएं@pankaj
जवाब देंहटाएं@..max..
thanku dost
yr ye mast hai yr..........
जवाब देंहटाएंpar isme photo meri hi daali hai ya jiska profile hota hai ussi ki photo aati hai....