शुक्रवार, 14 जनवरी 2011

लीक नयी from drafts

आज फिर ये राही बताना चाहता है कुछ
फिर आज उसे सड़क का रोना है
न जाने उसको क्या क्या पाकर सब कुछ खोना है
उसको जहा तक दिखी सड़क वो चलता गया
हर मुसीबत परेशानी को झेलता गया
सबसे बड़ी बात की वो बस चलता गया
आज सड़क अचानक कहा खो गयी
जो कभी थी उसकी न जाने किसकी हो गयी
बेचारा खोजता फिर रहा है
अपनी सड़क पथरीले रास्तो पर
ऐसे ही जैसे एक कस्ती खोजती है अपनी नदी
पर वो अनजान न जाने सड़क के मायने
वो तो था सिर्फ एक भरम
यात्रा शुरू हो गयी वहा पर
जहा सड़क थी ख़त्म
जिसे वो समझ बैठा था अपनी मंजिल
वो तो थी उसकी शुरुआत
ये सब जान हुई उसे घबराहट
पर वो रही था अनोखा
न जाने क्या सोच चल पड़ा वो फिर से
उस पथरीली जमीन पर
अपनी नयी लीक बनाने
सड़क नहीं केवल राही रखे है मायने
यही सिद्ध करने की कोशिस में
चल रहा वो कभी धुप तो कभी छाव पे
दुआ रखना मेरे यारो
उसे मिले उसकी मंजिल
बना डाले वो एक नई सड़क जहा से वो गुजरे
सिमटे दुनिया सारी उसके कदमो से
कभी तो कही मिले वो हमसे भी
तो पहचाने सभी और बोले उसे की वही है एक “सच्चा राही ”
९-०२-२०१०



1 टिप्पणी:

KHOJ

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