श्वेत श्याम वर्ण में बाटकर देखता हू दुनिया
सत्य मिथ्या के तराजू में तोलता हू दुनिया
न श्वेत पूर्ण है न ही श्याम है कोई
सत्य वार्ता का अंश है, मिथ्या लाप करता है कोई
दुःख अपने बाटकर मुस्कुराती है दुनिया
मुस्कान देख किसी की खिसियाती है दुनिया
पूर्णता से दूर, आधी भी खुश नहीं
और तमाशे में ढोल खुशियों का पीटती दुनिया
कभी अटपटी,अत्यंत क्रूर भावावेग में चलती दुनिया
किसी की सोच से जादा गहरी और गहराई में भी खोदती दुनिया
मिल जाये कोई चाहने वाला तो भी अकेला महसूस करती दुनिया
रिश्तो के मायाजाल में उलझाती दुनिया
दुःख में गाती हँसी में रुलाती
उठाती किसी को गिराती
हमारी दुनिया
सच में कभी कभी बहुत पकाती है दुनिया
तो सोच समझकर चुनो अपनी दुनिया ...
....:):)......
सत्य मिथ्या के तराजू में तोलता हू दुनिया
न श्वेत पूर्ण है न ही श्याम है कोई
सत्य वार्ता का अंश है, मिथ्या लाप करता है कोई
दुःख अपने बाटकर मुस्कुराती है दुनिया
मुस्कान देख किसी की खिसियाती है दुनिया
पूर्णता से दूर, आधी भी खुश नहीं
और तमाशे में ढोल खुशियों का पीटती दुनिया
कभी अटपटी,अत्यंत क्रूर भावावेग में चलती दुनिया
किसी की सोच से जादा गहरी और गहराई में भी खोदती दुनिया
मिल जाये कोई चाहने वाला तो भी अकेला महसूस करती दुनिया
रिश्तो के मायाजाल में उलझाती दुनिया
दुःख में गाती हँसी में रुलाती
उठाती किसी को गिराती
हमारी दुनिया
सच में कभी कभी बहुत पकाती है दुनिया
तो सोच समझकर चुनो अपनी दुनिया ...
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