मेरी और आवर्त की कुछ बातें
जिनमे न छंद है
न ही लय न ताल है
बस जिन्दगी से जुड़े कुछ सवाल है
>>यूं न कर परिहास किसी के स्वप्न का .."आवर्त"
कुछ ख्वाइशे तेरी भी अधूरी है ...........
>>एक ही बात पर बार-बार रोना अच्छा नहीं लगता......."आवर्त"
तेरी आदत बदल दे एक ही जगह अटकने की ......................
>>"क्यूँ "............................"आवर्त "
परिस्थितियाँ इंसान को इंसान नहीं रहने देती...
>>"आवर्त"...जीना कुछ इस कदर जिंदगी की ......
ज़िन्दगी भी खुश-कहे तुझसे इसने मुझे जिया है ...
>>चलते-गिरते-सम्भलते........"आवर्त".....
ज़िन्दगी की दौड़ तो पूरी करनी ही है .......
>>कोशिश करता चल .........."आवर्त"
ज्यादा सवाल न किया कर ज़िन्दगी से ......
>>ये शोर यूँ ही नहीं सुने देता ..."आवर्त"
कुछ बात है तेरे सन्नाटे में भी ...
>>वक़्त के आगे हर कोई मजबूर है ...."आवर्त "
ये दौर परेशानियों का तेरे साथ ही नहीं चलता....
>>प्रेम-पथ पर चलने से न घबरा ...."आवर्त"
तेरा हर एक बढता कदम लोगो की उम्मीदें जगाता है .....
>>प्रेम में पड़ने वाला, प्रेम नहीं पढता है .........."आवर्त"..........
प्रेम को पढने वाला उसमे पड़ने की कोशिश करता है....
>>एक और शाम गुजर गयी ...."आवर्त"
आज फिर तू तारे गिनकर सो जाएगा .........
>>तेरा लिखना मुझे मजाक लगता है ....."आवर्त"
जब वो हँसकर कहती है "मुझे समझ नहीं आया"....
>>आज फिर तम्मनाओ के सागर में गोता लगाया ......"आवर्त"
कुछ मोती चाहतो के और ढूँढ लाया ...........
>>ये दूरियां ही तो हैं जो जोड़े रखती है ...."आवर्त"
नजदीकियों में कहाँ आजकल वो मिठास पनपती है .......
जिनमे न छंद है
न ही लय न ताल है
बस जिन्दगी से जुड़े कुछ सवाल है
इन्ही बातो को मैंने नाम दिया है आवर्तिकाए
>>यूं न कर परिहास किसी के स्वप्न का .."आवर्त"
कुछ ख्वाइशे तेरी भी अधूरी है ...........
>>एक ही बात पर बार-बार रोना अच्छा नहीं लगता......."आवर्त"
तेरी आदत बदल दे एक ही जगह अटकने की ......................
>>"क्यूँ "............................"आवर्त "
परिस्थितियाँ इंसान को इंसान नहीं रहने देती...
>>"आवर्त"...जीना कुछ इस कदर जिंदगी की ......
ज़िन्दगी भी खुश-कहे तुझसे इसने मुझे जिया है ...
>>चलते-गिरते-सम्भलते........"आवर्त".....
ज़िन्दगी की दौड़ तो पूरी करनी ही है .......
>>कोशिश करता चल .........."आवर्त"
ज्यादा सवाल न किया कर ज़िन्दगी से ......
>>ये शोर यूँ ही नहीं सुने देता ..."आवर्त"
कुछ बात है तेरे सन्नाटे में भी ...
>>वक़्त के आगे हर कोई मजबूर है ...."आवर्त "
ये दौर परेशानियों का तेरे साथ ही नहीं चलता....
>>प्रेम-पथ पर चलने से न घबरा ...."आवर्त"
तेरा हर एक बढता कदम लोगो की उम्मीदें जगाता है .....
>>प्रेम में पड़ने वाला, प्रेम नहीं पढता है .........."आवर्त"..........
प्रेम को पढने वाला उसमे पड़ने की कोशिश करता है....
>>एक और शाम गुजर गयी ...."आवर्त"
आज फिर तू तारे गिनकर सो जाएगा .........
>>तेरा लिखना मुझे मजाक लगता है ....."आवर्त"
जब वो हँसकर कहती है "मुझे समझ नहीं आया"....
>>आज फिर तम्मनाओ के सागर में गोता लगाया ......"आवर्त"
कुछ मोती चाहतो के और ढूँढ लाया ...........
>>ये दूरियां ही तो हैं जो जोड़े रखती है ...."आवर्त"
नजदीकियों में कहाँ आजकल वो मिठास पनपती है .......