सोचा न था इन्ही रास्तो पर अकेले होंगे हम
खुशिया होंगी कम
घेर लेंगे गम
अकेले होंगे हम
निकल पड़े कल ही तो साथ कारवां लेकर हम
दोस्तों का साथ
मुश्किले थी कम
मुश्किले थी कम
आज खुद को देख ले अकेले इन राहो पर
टूटे तेरे सारे भ्रम
सोचा न था इन्ही रास्तो पर अकेले होंगे हम
मंजिलें जुदा थी ख्वाइशे हवा थी
होसलों में जां थी
प्यार की आड़ में
मुस्किलो के पहाड़ पे
दम तोड़ते नजर आएँगे हम
सोचा न था इन्ही रास्तो पर अकेले होंगे हम ...............
रौशनी बुझी सी,खुशियों की कमी सी,विश्वास था डिगा सा
चौंका मैं सुनके ताल, बढते मेरी ओर थे कुछ कदम
फिर तो क्या बात थी-मुश्किलों की क्या औकात थी
गिर पड़े जमीन पर सारे ही वहम
चौंका मैं सुनके ताल, बढते मेरी ओर थे कुछ कदम
फिर तो क्या बात थी-मुश्किलों की क्या औकात थी
गिर पड़े जमीन पर सारे ही वहम
सोचा न था इन्ही रास्तो पर अकेले होंगे हम
हुए भी न कभी इन रास्तो पे अकेले हम .....कारवां बढता चला, "कुछ रुके"-"कुछ जुड़े" और कुछ चले कदम
behtreen prstuti...
जवाब देंहटाएंsukria sushma ji....
जवाब देंहटाएंbhaut hi sundar....
जवाब देंहटाएंsukria sagar ji
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