कुछ दिन पहले की बात है ....
बड़े बड़े तारो के बीच छोटे से सूरज को भीअहमियत मिलने लगी ...
हमारा अपना सूर्य और प्रकाशित और उर्जावान हो गया...
फिर धीरे-धीरे
जब वो बड़े तारे एक दूर आकाश-गंगा के नन्हे से ग्रह को ...
रोशन करने चले तो...
हमारा नन्हा सूर्य बेचारा कोई मदद नहीं कर पाया
जबकि वो हर हाल में पूरी मदद करना चाहता था ...
पर उन बड़े तारो ने नहीं सुना और हमारे प्यारे नन्हे सूर्य को धोखे-बाज
काम-चोर और एहसान-फरामोश कह दिया ....
बेचारा उस दिन रोता रहा ...
उसके आंसू घुलते रहे...
उसकी उर्जा कम होती रही ..
और धरती पे पहली बार रात हो गयी ....
फिर
फिर क्या