कुछ इस तरह हो दिवाली इस बार की,
अपने और दिल के करीब आ जाएँ.
सब पुराने शिकवे-गिले भूल जाएँ,
रोशन हो चेहरा "ख़ुशी" से ,
अँधेरा भटकाव का मिटायें.
दीप बाहर ही न जलाए,
प्रेम-दीपक मन में प्रकाशित हो,
हर कोने में रौशनी जगमगाए
रिश्तो की मिठास हो मिठाई से मीठी,
सब के चेहरों पे मुस्कान खिलाये
कुछ रौनक ऐसी हो इस "त्यौहार" की,
"खुशिया" बनी रहे "घर-परिवार" की
कुछ इस तरह हो दिवाली इस बार की ......
सभी मित्रो एवं उनके(मेरे ) परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये ..:):):):):):)
अपने और दिल के करीब आ जाएँ.
सब पुराने शिकवे-गिले भूल जाएँ,
रोशन हो चेहरा "ख़ुशी" से ,
अँधेरा भटकाव का मिटायें.
दीप बाहर ही न जलाए,
प्रेम-दीपक मन में प्रकाशित हो,
हर कोने में रौशनी जगमगाए
रिश्तो की मिठास हो मिठाई से मीठी,
सब के चेहरों पे मुस्कान खिलाये
कुछ रौनक ऐसी हो इस "त्यौहार" की,
"खुशिया" बनी रहे "घर-परिवार" की
कुछ इस तरह हो दिवाली इस बार की ......
सभी मित्रो एवं उनके(मेरे ) परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनाये ..:):):):):):)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें