जब बातें हो जाये कम,
आँखें हो नम,
आस रखना,
तब तुम मत घबराना,
थोड़ा खुद से थोड़ा मुझसे बतियाना,
चुप्पी से अपनी न मुझको तड़पाना,
अपना समझना दिल से दिल का हाल सुनाना,
थोडा खुद से थोड़ा मुझसे बतियाना,
जब कभी दिन ढले आराम का,
रात आये, मुश्किल हो रास्ता काटना,
मेरी बात याद रखना,
दीप लिए, रोशन मैं रात कर दूंगा,
बस तुम एक आस रखना,
कभी न आशा का दीपक बुझाना,
थोड़ा खुद से थोड़ा मुझसे बतियाना,
सन्नाटा चंद पलो का किसे नहीं भाता,
पर तुम चुप हो तो,
मुझे भी बोलना नहीं आता,
मेरी बातो को दिल से मत लगाना,
हो कुछ गिला तो,
थोड़ा खुद से थोड़ा मुझसे बतियाना . . . . . . .....
तेरी मजबूरियाँ भी होगी चलो मान लेते है.... मगर.... तेरा वादा भी था मुझे याद रखने का...!!!
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