कण कण व्याप्त हृदय में भ्रष्टाचार लिखूं ?
निजता के सूर्य से तपता कटु-संसार लिखूं ?
मनु-पुत्र के हाथो ही प्रकृति का संहार लिखूं ?
हुए जो बेघर बेसहारा उजड़ता उनका परिवार लिखूं ?
लोभी-क्रूर-क्रोधी समाज में भावनाओ का व्यापार लिखूं ?
विवादों से खेलता मीडिया उसका व्यभिचार लिखूं ?
सफ़ेद पोश नेताओ से भरे कारागार लिखूं ?
गला घोटते भाई-चारे का, स्व-हित-हेतु प्रतिकार लिखूं ?
बसा मृदु-मन में घनघोर अन्धकार लिखूं ?
.............................."आवर्त"..............................................
कुछ पर तो कलम घिसने का भी अफ़सोस होता है .................
सो पल दो पल में ढाई आखर का प्यार लिखूँ..
खुशियों का छोटा सा संसार लिखूँ...
तेरी-मेरी बातो की भरमार लिखूँ.....
बुजुर्ग हो गये अपने संस्कार लिखूँ .....
अपनी ही जीत अपनी ही हार लिखूँ........
२-४
पंक्तियो में मैं तो बस ज़िन्दगी का सार लिखूँ...........
bhaut hi khubsurat...
जवाब देंहटाएंApki tippaniyo pr AABHAR likhu
जवाब देंहटाएंaap ki khaatir shabd sahitya ka anokha alankaar likhu.....
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