धोखा है मंजूर
सच्चाई का आइना नहींये दुनिया हंसती बेवजह
आंसू असल के भी रोना नहीं
मंजूर है बैचनी का महल
सुकून का कोना नहीं
अपने संग होता हमेशा गलत
२रो के साथ हमेशा सही
परेशानी अपनी सबसे बड़ी
किसी की मौत का भी गम नहीं
किसी की ख़ुशी है मंजूर
अपने गम में भी आँखें नाम नहीं
होता प्रेम बेवजह कही
तो चाहकर भी तन्हाई है कही .
ये तो चंद पंक्तिया है .
पता नहीं क्या है "मंजूर "
जो होना "नहीं " चाहिए .
और क्या है नहीं
जो मंजूर होना चाहिए ?
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