शुक्रवार, 25 फ़रवरी 2011

नन्ही चिड़िया


एक प्यारी सी चिडिया
हस्ती खेलती फुदकती अपनी मित्र मंडली के साथ
उनसे बाँटती अपनी खुशिया और हर बात
अपने से ज्यादा यकीन था उसे अपने मित्रो पर
उसके नन्हे पंख  सिर्फ  दिखते नन्हे थे
वो तो उड़ान भरती थी सातो असमानों में
मजबूती थी उसके इरादों में
न डरती थी वो तूफानों से
दोस्तों का संग लगता सबसे न्यारा उसे
इतने अच्छे दोस्तों के साथ डर किसका था उसे
एक दिन एक बाज आया
उसकी क्रूरता को कोई समझ न पाया
चिडिया के सारे दोस्त घुल मिल गए उससे
उसके साथ जोड़ने लगे चिडिया के किस्से
वो तो थी प्यारी और भोली
वो बाज की प्यारी प्यारी बातो में होली
उस बाज को दिया सहारा और साथ सबने
क्युकी विश्वास और प्रेम ही तो भरा चिडिया और उसके मित्रो के मन में
वो भांप न पाई उसकी हैवानियत को
दोस्तों का दोस्त है ये सोचकर भूल कर बैठी वो
शायद चाहने लगी थी वो उसको
वो भी दिखावा  करता , था चतुर जो
चिडिया उसके जाल में थी
उसके दोस्तों को भी खबर न थी
उसके तेज नाखून,नुकीली चोच कर सकते थे उसे नुक्सान
पर चिडिया को छलना न था इतना आसान
करके हिम्मत तोड़ दिया नाता उसने उस बाज से
चिडिया भूल गयी हसना गाना फुदकना डाली डाली
पर एहसास हुआ उसे जैसे ही
दोस्त तो उसके पास है ही
वों भुला बैठी बाज की करतूतों को
कहा , किया उस बाज ने जो
पर वो बाज अब भी बाज न आया
उसने चिडिया के दोस्तों को बहकाया
उसके दोस्त बहकने  लगे
चहकती चिडिया को टोकने लगे
पर जब दोस्ती का ख्याल आया तो खुद को रोकने लगे
उस बाज की क्रूरता और चिडिया की मासूमियत के बारे में सोचने लगे
उनको एहसास हो चुका था ,
बाज धोका दे रहा है
सब गलत ही करने को कह रहा है
उन्होंने बिन बताये  बाज को ,
बदल लिया अपने अंदाज को
तैयार है वो सब के सब बाज का सामना करने को
वो चिडिया के दोस्त फिर से विश्वास लौटाना चाहते है
चिडिया के बाग़ में फूल दोस्ती के रंग बिरंगे महकाते है
अब ना जाने बाज क्या करेगा
अपने कलुषित मन को कहा भरेगा
भटक रहा है वो और पंछियो की तलाश में
शायद कोई मिले उसे जो करे उसकी इच्छा पूरी


लेकिन ऐसे बाजो की इच्छा हमेसा रहती है अधूरी ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,

शुक्रवार, 18 फ़रवरी 2011

रिश्तो में फिर वही मिठास पुरानी ढूंढ़ता हूँ
बातो में फिर से प्यारी छोटी कहानी ढूंढ़ता हूँ
बिखरते हुए इन पलो में जुड़ने की आस ढूंढ़ता हूँ
हो चुके सब मतलबी शायद, भाव निस्वार्थ ढूंढ़ता हूँ
समझदारी की इस दलदल में मासूमियत का कवल ढूंढ़ता हूँ
कहता था पहले
" ढूंढ़ तो हर जगह मिलती है जिंदगी ...."
अब सिर्फ उसकी तलाश ढूंढ़ता हूँ

मंजिल जिसे पास समझा था, उसे पाने की प्यास ढूंढ़ता हूँ
पहले हँसता था अकारण
अब हर हँसी का जवाब ढूंढ़ता हूँ
आधी अधूरी जितनी भी पढ़ी
जिंदगी की खोयी किताब ढूंढ़ता हूँ
खुश, ख़ुशी से परे सही मायने में
जिंदगी की किताब ढूंढ़ता हूँ
:)
:)

बुधवार, 16 फ़रवरी 2011

कुछ पंक्तिया आंग्लभाषा में



um dark inside....give me a reason to stay bright

um wasted in ugly crowd....give me a reason to feel proud..

m loosing my way in dark roads .....give me a shine..

um dark inside....give me a reason to stay bright

i love or not its hard to judge .....inside me a dark smudge.....

...be ma guide...um dark inside....give me a reason to stay bright..

khush!dost!am!t

.

.

.
Wenever i waited for sm1. .that sm1 never came, wenevr things went wrng...there ws nthing to blame,it ws nly me holding 1 end.waiting for sm1 to do the same, but wenevr i waited fr sm1 that sm1 nevr came. . .sm1 says life is a game. . Nevr wait fr sm1, who never came. . .i said its easy to wait,wen u hv hope, dnt mattr that sm1 is late. . . . . I'll b waiting forever. .khush!dost!Am!t
.

सोमवार, 14 फ़रवरी 2011

आलस

कुछ स्वप्न अधूरे रह जाते है ,
जिनको नींद प्यारी होती है ,
जो सोते है कर्म छोड़कर ,
उनकी किस्मत भी सोती है
अब जागे ,
जब जग सोया
किस्मत फूटी ,
सबका प्यार खोया
वक़्त के साथ चलना सीख लेते है,
और जो सोते है पथ पर
उनकी मंजिल खोती है ,
अब पहुचे वहां ,
पहले पंहुचा जग जहाँ
फूटी किस्मत--फिर से तुमने कहा
इस बार सोना सही,
पर थोड़ी देर से
और कहना नहीं,
मेरी किस्मत फूटी
इस पहर से ,
..............:)

KHOJ

Loading
Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...

comments