रविवार, 27 नवंबर 2011

“पंछी” वो एक


27-11-२०११ 5:30 pm
द्वारा  मेघा सूरी जी 

“पंछी” वो  एक
उड़ता  नील  गगन  में
“ख़ुशी” समेट संग अपने  अनेक
छूता  नित  नयी  ऊँचाइया 
लेकर  “शून्यता” की  गहराइया
“भाव” पनपते  देख  मन  में
सिमट  लेता  अपने  पंखो  में
छाया  में  भी  डूबती  किरने  संजोता
अँधेरे  में  उनसे  मुस्कान   बिखेरता
झील  की  सुन्दरता  देख  विस्मय  हो जाता
आँखों  में  उसे   अपनी  बसा लेता 
“दूर” से  हसीं  दुनिया  के  रंग  में
हर  दिन   नए  रंग  वो  भरता
पास  जिन्हें  देख  अपने
वो  न जाने  क्यूँ   विचलित  हो जाता ..
चाहे  हो  सूरज  की  भीषण   गर्मी 
या  “शीत” लहर  का  कहर …
हर  आते  जाते  मौसम  में  वो
बस  "निश्चल-स्नेह"  बरसता …
कोमल  उसका   अन्तहकरन  
“निर्मल” जल   के  भांति..
सब  “रूप” में  सवर  जाता ..
निर्भाव  जो  खुद  को  बतलाता …
ले  आँचल   में  “प्रेम  का  संसार”
अनंत  की  उधान   उड़ता   जाता …
फिर  न  जाने  क्यूँ 
देख  अपनी  तस्वीर  उस  मन  में 
वो  ऐसे   डर जाता  …??







मंगलवार, 15 नवंबर 2011

सीधी बातो से कतराते हो ..



आज भी सीधी बातो से कतराते हो


पता है सब ठीक होगा

फिर क्यूँ घबराते हो

बहाने बना कर

पास जाते हो ....

हँसी-ख़ुशी में चंद लफ्ज बडबडाते हो

न जाने क्यूँ सच से मुह छिपाते हो

"आवर्त"

आज भी सीधी बातो से कतराते हो

कविताये रचते

2 पंक्तियों में न जाने क्या कहना चाहते हो

कोसते हो दुनिया को कभी

तो कभी रिश्तो से डगमगाते हो

दिल की धडकनों को महसूस करो

क्यूँ तुम मुस्कान को ही अपनी

-मुस्कुरा के छुपा जाते हो ...

आज भी सीधी बातो से कतराते हो ..

आधी-अधूरी अनकही बाते ही होती है अक्सर

वार्तालाप को छोडकर तुम जाने कहा खो जाते हो

दिल मेरा नहीं दुखता,

पर महसूस तेरा दर्द तेरे "विराम" से होता है

जो तुम खालीपन सा दे जाते हो ................

आज भी सीधी बातो से कतराते हो ..

क्रमश:




मंगलवार, 1 नवंबर 2011

गम तो आता जाता रहता है

गम  अपने  दिल  का  जब  कोई  बाँट  लेता  है...
उसके  रोने   पे  रोना   भी  आता......
पर  अपना  ही  गम  बड़ा  लगता  है
दिल  से  झेला  नहीं  जाता ............
क्यूँ  न  फिर  तू  दिल  को  समझाता ...
समझोते   सिर्फ  तेरी  किस्मत  में   नहीं ......
सबकी  हाथो  की  लकीर  पे  लिखे  है .....
गम  को  छुपा  सिर्फ  तू  ही  नहीं  मुस्काता  है ..
वक़्त  की  अंगड़ाई  से  रोना  सबको  आता  है ...
कुछ  करते  है  नुमाइश  उनकी ..
और  कुछ  से  मुस्कुराये  बगैर  रहा  नहीं  जाता है .......
सो  तू  भी  मुस्कुरा  आंसू  सिर्फ  ख़ुशी  के  ला
गम  तो  आता  जाता  रहता  है .....गम  तो  आता  जाता  रहता  है

KHOJ

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