ये ब्लॉग पूर्ण रूप से मेरे दोस्तों और मेरे छोटे से जीवन के कटु-मृदु अनुभवों को समर्पित है!!!! जो हमेशा मेरे साथ है.....
रविवार, 12 जून 2011
सोच तुझे देख कर ही मेरी ख़ुशी देख तुझे सोच कर ही मेरी हँसी.
जिंदगी मेरी जिन्दा हुई तुझसे कहीं
कहीं तुझ में ही मेरी जिंदगी बसी .
पल पल जब शाम होती जाये रौशनी सूरज की मेरी आँखों से छिप जाये
बस एक तेरी याद का सहारा
मेरी आँखों से पल पल गिरता जाए.
चमकते मोती बिखर कर आँखों से
मेरी तन्हाइयों को रोशन कर जाए .
बस तू न छिपना कभी
रहना बनकर मेरे जेहन एक छाव सी
सोच तुझे देख कर ही मेरी ख़ुशी देख तुझे सोच कर ही मेरी हँसी.
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें