द्वार अपने आप खुलेगा
हमेसा सोचते रहे यही
खटखटा कर जबकि निकल चुके थे कई
भावना के साथ प्रयास भी था जरुरी
क्यों इंतज़ार किया तुमने युही
माना के प्रेम सत्य था तुम्हारा
परन्तु व्यक्त करने पर ही मिलता है सहारा
क्यों करते हो अपेक्षा इस स्वार्थी दुनिया से
के कोई पढने को आएगा तुम्हारे नेत्रों की सचाई को
माना तुम हक़दार थे उस पुरस्कार के
परन्तु दावा तो पेश करना था
थोडा सा दिखावा ही तो करना था
रह गए पीछे सोच के हमेसा
के भाव तुम्हारे सचे और कर्म है अच्छे
पर इस दुनिया को दिखाना पड़ता है
जो है तुम्हारे पास सीखाना पड़ता है
जब कोई दोस्त मुझसे पूछे
क्या हम युही दोस्त रहेंगे सच्चे
मैंने कहा बिलकुल अगर हम रहे इंसान इतने ही अच्छे
जीवन में बदलाव आएगा
पर हर रिश्ता ये ‘आवर्त ’ निभाएगा
अब तो जो है दिखाना सीखो
हदों में रहकर
हमेसा हे चुप मत रहना गम सहकर
एक बार द्वार खुलेगा अपने आप
जिसने न किया इंतज़ार ,हर प्रयास है उसका विजेता सरीखा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
………………..KHUSh!........dOST!...........am!t
हमेसा सोचते रहे यही
खटखटा कर जबकि निकल चुके थे कई
भावना के साथ प्रयास भी था जरुरी
क्यों इंतज़ार किया तुमने युही
माना के प्रेम सत्य था तुम्हारा
परन्तु व्यक्त करने पर ही मिलता है सहारा
क्यों करते हो अपेक्षा इस स्वार्थी दुनिया से
के कोई पढने को आएगा तुम्हारे नेत्रों की सचाई को
माना तुम हक़दार थे उस पुरस्कार के
परन्तु दावा तो पेश करना था
थोडा सा दिखावा ही तो करना था
रह गए पीछे सोच के हमेसा
के भाव तुम्हारे सचे और कर्म है अच्छे
पर इस दुनिया को दिखाना पड़ता है
जो है तुम्हारे पास सीखाना पड़ता है
जब कोई दोस्त मुझसे पूछे
क्या हम युही दोस्त रहेंगे सच्चे
मैंने कहा बिलकुल अगर हम रहे इंसान इतने ही अच्छे
जीवन में बदलाव आएगा
पर हर रिश्ता ये ‘आवर्त ’ निभाएगा
अब तो जो है दिखाना सीखो
हदों में रहकर
हमेसा हे चुप मत रहना गम सहकर
एक बार द्वार खुलेगा अपने आप
परन्तु खटखटाना तो सीखो
इस दुनिया में रहने का यही है तरीकाजिसने न किया इंतज़ार ,हर प्रयास है उसका विजेता सरीखा ,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,,
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