रविवार, 22 अप्रैल 2012

पुष्प की तो आदत है बिखर जाने की

पुष्प  की  तो  आदत  है  बिखर  जाने  की .....
कुर्बान  होकर  दूसरो  के  काम   आने  की ......
लेकिन  दर्द  तो  कंटक  को  होता  है .....
जब  वो  देख  सामने   क़ुरबानी  पुष्पों की  रोता  है .....
उसके  सामने   ही  खिलता  था  जो .....
उसके  सामने  ही  कोई  तोड़  गया ....
कुछ  न  कर  सका  कंटक ....
बस  सीमा  में  आये   कोई  तो  निशान छोड़  गया .....
कोशिश  न  जाने क्यूँ  करते  है  लोग  फिर  कंटक  को  झुठलाने  की .....
पुष्प  की  तो  आदत  है  बिखर  जाने  की .......
हम  आप  क्या  समझे  हस्ती  उस  कंटक  नाम  के  दीवाने  की ....
पुष्प  की  तो  आदत  है  बिखर  जाने  की......................

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